सात सुर से अलग
एक सुर मै रचूँ,
बस तुम्हारे लिए
बस तुम्हारे लिए.
तुम भगीरथ बनो
मै बनके गंगा बहूँ
बस तुम्हारे लिए
बस तुम्हारे लिए
चाँद पूनम के तुम
बन जा ऐ प्रिये
मै रात पूनम बनूँ
बस तुम्हारे लिए
बस तुम्हारेलिए
इस धरती की बगिया
बहुत है बड़ी
मै कली बन खिली
बस तुम्हारे लिए
बस तुम्हारेलिए
सतरंगी सपनो से
हट के अलग
एक सपना हो तुम
बस हमारे लिए
बस हमारे लिए....
एक सुर मै रचूँ,
बस तुम्हारे लिए
बस तुम्हारे लिए.
तुम भगीरथ बनो
मै बनके गंगा बहूँ
बस तुम्हारे लिए
बस तुम्हारे लिए
चाँद पूनम के तुम
बन जा ऐ प्रिये
मै रात पूनम बनूँ
बस तुम्हारे लिए
बस तुम्हारेलिए
इस धरती की बगिया
बहुत है बड़ी
मै कली बन खिली
बस तुम्हारे लिए
बस तुम्हारेलिए
सतरंगी सपनो से
हट के अलग
एक सपना हो तुम
बस हमारे लिए
बस हमारे लिए....
सर्वप्रथम तो आपका स्वागत है और शुभकामनायें रचना के सन्दर्भ में प्रेममयी सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई ......
ReplyDeleteसात सुर से अलग
ReplyDeleteएक सुर मै रचूँ,
बस तुम्हारे लिए
बस तुम्हारे लिए.
तुम भगीरथ बनो
मै बनके गंगा बहूँ
बस तुम्हारे लिए
pyaar me hi sabkuch hai
एक सुर मैं रचूँ सिर्फ तुम्हरे लिए ...
ReplyDeleteप्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति !
प्रेम के भाव से सजी सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रेम के रंग में रंगी ... श्रीष्टि के सुरों से सजी ... सुंदर कृति ...
ReplyDeleteसतरंगी सपनो से
ReplyDeleteहट के अलग
एक सपना हो तुम
बस हमारे लिए
बस हमारे लिए....
प्रेम के रंग से सजी सुंदर प्रस्तुति
शुभकामनायें..
प्रेम के रंग में सरावोर सुंदर कविता. स्वागत और शुभकामनायें.
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