.............................................सर्वप्रथम नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.......................................
मेरे मन को बार-बार बेधती
तुम्हारी निःशब्द बोलती आँखें .
सरे बाजार जो गुजर जाऊं
दिल में नश्तर सी चुभोती
तुम्हारी निःशब्द बोलती आँखें .
इजहार-ए-इश्क को बेक़रार
मेरी आँखों में झांकती
तुम्हारी निःशब्द बोलती आँखें .
मेरे वजूद को आँखों से
जज्ब करने की कोशिश करती
तुम्हारी निःशब्द बोलती आँखें .
मेरे मन को बार-बार बेधती
तुम्हारी निःशब्द बोलती आँखें .
मेरे मन को बार-बार बेधती
तुम्हारी निःशब्द बोलती आँखें .
सरे बाजार जो गुजर जाऊं
दिल में नश्तर सी चुभोती
तुम्हारी निःशब्द बोलती आँखें .
इजहार-ए-इश्क को बेक़रार
मेरी आँखों में झांकती
तुम्हारी निःशब्द बोलती आँखें .
मेरे वजूद को आँखों से
जज्ब करने की कोशिश करती
तुम्हारी निःशब्द बोलती आँखें .
मेरे मन को बार-बार बेधती
तुम्हारी निःशब्द बोलती आँखें .
वाह बहुत खूब लिखा है आपने सोच मैं भी रही थी बहुत दिनों से की
ReplyDeleteनीःशब्द से किन्तु बोलती आँखों पर कुछ लिखूँ और आज आपने ही लिख दिया ....:)
bahot acchi hai
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