Saturday 7 May 2011

बस तुम्हारे लिए

सात सुर से अलग
एक सुर मै रचूँ,
बस तुम्हारे लिए
बस  तुम्हारे लिए.
तुम भगीरथ बनो
मै बनके गंगा बहूँ 

बस तुम्हारे लिए

बस तुम्हारे लिए
चाँद पूनम के तुम
बन जा ऐ प्रिये
मै रात पूनम बनूँ
बस तुम्हारे लिए

बस तुम्हारेलिए

इस धरती की बगिया
बहुत है बड़ी
मै कली बन खिली
बस तुम्हारे लिए

बस तुम्हारेलिए

सतरंगी  सपनो से
हट के अलग
एक सपना हो तुम
बस हमारे लिए
बस हमारे लिए....