Saturday 7 May 2011

बस तुम्हारे लिए

सात सुर से अलग
एक सुर मै रचूँ,
बस तुम्हारे लिए
बस  तुम्हारे लिए.
तुम भगीरथ बनो
मै बनके गंगा बहूँ 

बस तुम्हारे लिए

बस तुम्हारे लिए
चाँद पूनम के तुम
बन जा ऐ प्रिये
मै रात पूनम बनूँ
बस तुम्हारे लिए

बस तुम्हारेलिए

इस धरती की बगिया
बहुत है बड़ी
मै कली बन खिली
बस तुम्हारे लिए

बस तुम्हारेलिए

सतरंगी  सपनो से
हट के अलग
एक सपना हो तुम
बस हमारे लिए
बस हमारे लिए....

7 comments:

  1. सर्वप्रथम तो आपका स्वागत है और शुभकामनायें रचना के सन्दर्भ में प्रेममयी सुंदर अभिव्यक्ति , बधाई ......

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  2. सात सुर से अलग
    एक सुर मै रचूँ,
    बस तुम्हारे लिए
    बस तुम्हारे लिए.
    तुम भगीरथ बनो
    मै बनके गंगा बहूँ
    बस तुम्हारे लिए
    pyaar me hi sabkuch hai

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  3. एक सुर मैं रचूँ सिर्फ तुम्हरे लिए ...
    प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  4. प्रेम के भाव से सजी सुन्दर प्रस्तुति

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  5. प्रेम के रंग में रंगी ... श्रीष्टि के सुरों से सजी ... सुंदर कृति ...

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  6. सतरंगी सपनो से
    हट के अलग
    एक सपना हो तुम
    बस हमारे लिए
    बस हमारे लिए....
    प्रेम के रंग से सजी सुंदर प्रस्तुति
    शुभकामनायें..

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  7. प्रेम के रंग में सरावोर सुंदर कविता. स्वागत और शुभकामनायें.

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